

Mahakumbh 2025 : आस्था और विश्वास की शक्ति इतनी गहरी होती है कि उम्र और शारीरिक स्थिति केवल संख्याएं बन कर रह जाती हैं. एक व्यक्ति जब ठान लेता है कि उसे कोई काम करना है, तो उसे किसी भी चुनौती से डर नहीं लगता. धनबाद की 92 वर्षीय तारा देवी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं. उनके हौसले और आस्था ने यह साबित कर दिया कि जब आत्मविश्वास मजबूत हो, तो किसी भी यात्रा को पूरा किया जा सकता है.
92 साल की वृद्धा की आस्था का प्रदर्शन
तारा देवी ने महाकुंभ के शाही स्नान में शामिल होने के लिए अपनी यात्रा अकेले ही शुरू की. बिना किसी से बताए उन्होंने रात के अंधेरे में घर छोड़ा, ट्रेन पकड़ी और प्रयागराज पहुंच गईं. यहां तक कि उन्होंने फोन भी साथ नहीं लिया, क्योंकि उनकी आस्था और विश्वास उन्हें अपने उद्देश्य तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त थे. यह कोई साधारण यात्रा नहीं थी. यह एक 92 साल की वृद्धा की आस्था का प्रदर्शन था. आज ये पूरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं.